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Friday, October 23, 2015

आख़िर यह जीवन क्या है ?


बचपन से ले केर अब तक
जो भी हुआ ,
या जो मैंने चुना ।
और चाह कर भी जो मैं कर न सका
वो कहाँ गया ?

वह एक राह
जिस पर चल कर मैं
यहाँ तक पंहुचा ।
और वो  रास्ते जिन पर मैं चल न सका ,
वो कहाँ गये ?

वह विकल्प
जो मैंने चुनें
जिन पर मैं स्थिर रहा ।
और समय की धारा जो बह गयी
वह कहाँ गयी ?

या' यह पल, हाँ यही पल
जो गुज़र रहा है अभी ।
और इसे समेटने की क़ोशिश मे ,
जो शब्द नहीं मिल रहे
वो कहाँ गये ?



Thursday, October 22, 2015

ज़िन्दगी जीने का आसान तरीका


जीवन की असीम संभावनाओं को
एक मनगढंत परिधि में  कैद कर जीना ,
भला यह भी कोई जीना है ।

क्या है जो मुझे रोकता है
इन सीमाओं को मिटाने से ?
इन सीमाओं में इतना सुकून क्यूँ है ?

वो कौन से विचार है
जो मेरी जीजिविषा को बांधे हैं ।
मेरी इन विचारो से क्या दोस्ती है ?

इन सवालों का ज़वाब ढूंढ़ना
क्या सचमुच ज़रूरी है ?
या इन व्यर्थ सवालों में ,
मैंने ढूंढ लिया है
ज़िन्दगी जीने का आसान तरीका ।